बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन उडूं वहां तक, जहाँ तलाक हो, कल्पनाओ का गगन बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन बंद आँखों से देखे बहुत, देखे नींदों में सुन्दर स्वप्न खुली आँखों स… Read more »
बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन उडूं वहां तक, जहाँ तलाक हो, कल्पनाओ का गगन बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन बंद आँखों से देखे बहुत, देखे नींदों में सुन्दर स्वप्न खुली आँखों स… Read more »
ग़ज़लें वो नहीं जो सिर्फ महफ़िल थाम लेती है ग़ज़लें वो भी नहीं, जो गम को उफान देती है ग़ज़लें वो है,जिनसे प्यार झलकता है,वफ़ा महकती है ग़ज़लें वो है जिनमे किस्सा - ऐ - दोस्ती है ग़ज़लें दिलजले का दिल जलाती है, जला है,जिनकी की यादों मे… Read more »
ऐ ! यार ऐ यार मेरे तेरी तारीफ में मैं क्या कहूँ चाँद चाँद है चाहे पूनम का हो या अमावस का तेरा नूर उसी तरह से फैला है मेरी जिंदगी में जैसे अन्धेरे को चीरती हुई कोई सूरज की रोशनी जिसके आगोश् में समस्त वातावरण रोशन हो तमहीन हो ज… Read more »
मैं हिन्दू हूँ ! तुम भी तो हिन्दू हो मैं हिन्दू हूँ ! तुम भी तो हिन्दू हो , तुम्हारी मेरी सोच का , फिर क्यों न एक बिंदु हो, इस ज़माने में मैं भी तो रहता हूँ, अपने धर्म का मैं भी तो पालन करता हूँ, तुम करके जीव रक्षा, इंसान सिद्द हो। तुम्हारी मेरी सोच क… Read more »
!! YAARA !! वो चाँद से ज्यादा शीतल है है चांदनी से ज्यादा प्यारा मोल में उसका जानू न है वो अनमोल सितारा दुःख बाँट लेता मेरे सारे भूल अपना दर्द सारा कुछ तो पुण्य किये है मैंने जो मुझे मिले है ऐसे यारा मेरे उन प्यारे मित्रो को समर्पित जो … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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