घर बाहर का मुखिया नर हो और नारि घर भीतर जान दोनों ही घर के संचालक दोनों का ऊँचा है स्थान बात करे जब मुखिया पहला दूजा सुने चित्त ले चाव बात उचित अनुचित है जैसी वैसा ही वह देय सुझाव बिना राय करना मत दोनों चाहे … Read more »
घर बाहर का मुखिया नर हो और नारि घर भीतर जान दोनों ही घर के संचालक दोनों का ऊँचा है स्थान बात करे जब मुखिया पहला दूजा सुने चित्त ले चाव बात उचित अनुचित है जैसी वैसा ही वह देय सुझाव बिना राय करना मत दोनों चाहे … Read more »
गृहस्थ : छंद - आल्हा/वीर,बृज मिश्रित ------------------------- जय जय जय भगवती भवानी कृपा कलम पर रखियो मात आज पुनः लिख्यौ है आल्हा जामै चाहूँ तेरौ साथ महावीर बजरंगी बाला इष्टदेव मन ध्यान लगाय निज विचार गृ… Read more »
आजाऔ मिलबे सजन, जमना जी के पार तड़प रही हूँ विरह में, करके नैना चार कैसे आऊँ मैं प्रिया, जमना जी के पार घायल मोहे कर गए, तेरे नयन कटार तुम तौ घायल है गए, देख कोउ कौ रूप मैं बैरानिया हूँ बनी, तेरी जग के भूप मै… Read more »
रक्ता छंद [Rakta Chhand ] विधान :- रगण जगण गुरु【212 121 2 】 कुल 7 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत ] (1) मात ज्ञान दीजिये दूर दोष कीजिये मंद हूँ विचार दो लेखनी सँवार दो (2) मात हंसवाहिनी आप ज्ञान दायिनी … Read more »
कुंडलियाँ Kundaliyan Chhand 【सोमवार】 देवो के वह देव है, भोले शंकर नाम ध्यान धरो नित नेम से, अंत मिले हरि धाम अंत मिले हरिधाम, पार भव के हो जाये मनचाहा सब होय, साथ सुख समृद्धि पाये कहे भक्त उत्कर्ष, ना… Read more »
उड़ियाना छंद Udiyana Or Kundal Chhand उड़ियाना छंद विधान : 12/10 यति पहले व बाद में त्रिकल अंत मे एक गुरु जीवन का ध्येय एक, राम नाम जपना मिले हमें विष्णुलोक,यही सत्य सपना कौन यहाँ मित्र,सगा, बंधु, संबंध है माया का यही जाल, मोह आबंध है… Read more »
कहमुकरी छंद कहमुकरी छंद विधान : प्रतिचरण 15 अथवा 16 - 16 मात्राऐं, क्रमशः दो दो चरण समतुकांत वह भविष्य का है निर्माता पथभ्रष्टी को पथ पे लाता कर्म मार्ग का वही निरीक्षक क्या सखि ईश्वर ? ना सखि शिक्षक … Read more »
बेरोजगारी : Unemployment आज अखबार में विज्ञापन छपा था, विज्ञापन के साथ ही पूछताछ के एक सम्पर्क अंक (नम्बर) भी,नवनीत सुबह सुबह चाय की चुस्की ले अखबार पढ़ रहा, अचानक उसकी निगाह उस विज्ञापन पर गयी । चाय का कप टेबल पर रख कर दोनों हाथों में अखबार को ले विज्ञापन पढ़ने लगा … Read more »
महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat] विधान : महाभुजंगप्रयात छंद आठ यगण से है बना, बारह पर यति सोय । भुजंगप्रयात से दोगुना, सदा छंद यह होय ।। ------------------------------------- लगी है झरी धार पैनी परी हैं, लिये नीर आई… Read more »
घनाक्षरियों के प्रकार एवं विधान ____________________________________________ 1:- मनहरण घनाक्षरी : कुल 31 वर्ण। 8-8-8-7 या 16-15 पर यति। अंत में गुरु वर्ण। ____________________________________________ 2:- रूप घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 प… Read more »
रट लै रट लै हरी कौ नाम रट लै रट लै हरी कौ नाम, प्राणी भव तर जायेगौ रे प्राणी भव तर जायेगो, तेरो जनम सुधर जायेगौ रट लै रट लै हरि कौ...... बड़े जतन तन मानुस पायौ मोहपाश में समय गँवायौ कोउ न आवै काम अंत में, रे जब ऊपर जायेगौ … Read more »
उल्लाला छन्द उल्लाला छन्द विधान - उल्लाला छंद सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है। प्रथम भेद :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें) होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है । द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होत… Read more »
विश्व गुरु भारत अपना महान विश्व गुरु भारत अपना महान नही कोई दूजा इसके समान नही कोई दूजा.....नही कोई... विश्व गुरु............नही कोई... सिक्ख ईसाई हिन्दू मुस्लिम, सब मिलजुल कर रहते है सुख दुख अपना आपस बांटे, साथ सभी का, हम देते ह… Read more »
हिंदी की जय बोलो हिंदी, भाषा बड़ी सुहानी है हिंदी गौरव हिन्द देश का, हिंदी हरि की वाणी है है मिठास हिंदी भाषा मे, पुरखो का यह मान रही वीरों का भुजबल थी ये ही, अपना स्वाभिमान रही मात भारती के ललाट पे, तेज लिये जो बिंदी है और… Read more »
मत्तगयंद सवैया : भगण×7+गुरु+गुरु सूरकुटी पर भीर भयी, कवि मित्र करें मिल कें कविताई । छन्दन गीतन प्रीत झरे, उर भीतर बेसुधि प्रीत जगाई । भाग बड़े जब सूरकृपा, चल सूरकुटी बृज आँगन पाई । देख छटा बृज पावन की,उर आज नवीन गयौ हरसाई । ✍… Read more »
पालीथिन से मर रही, गायें रोज़ हज़ार । बन्द करो उपयोग अब, नही जीव को मार ।। वर्षो तक गलता नही,नही नष्ट जो होय । दूषित पर्यावरण करे,नाम पॉलिथिन सोय ।। कपडे का थैला रखो,छोड़ पॉलिथिन आज । वर्षो तक गलता नही,दूषित करे समाज ।। मांग भरी … Read more »
आराधना : Aaradhana दोहा• प्रातः उठ वंदन करूँ,चरण नवाऊँ शीश । यशोगान तेरा करूँ, इतना दो आशीष ।। सुन लो मेरी अरज भवानी । तेरी महिमा जग ने जानी ।। दूर करो अज्ञान का साया । माता तेरीे दर पे आया ।। दोहा• करता में आराधना… Read more »
नारी: गजल [ Naari : Gazal ] बह्र : 212-212-212-212 भूख उसको भले पहले'खाती नहीं दुःख हों लाख ही पर जताती नहीं Bhookh Usko Bhale Pehle Khaati nahi Dukh Hon Lakh Hi Per Jatati nahi नित्य जल्दी जगे काम सारा करे बाद भी … Read more »
मंदाक्रांता छंद -------------------- [ विधान : मगण,भगण,नगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु] ____________________________ मर्यादा मारग तज,चले लोग वो चाल देखो । माया के, मोहवश उनके जो रहे हाल देखो । हैं वो निर्भीक,सभय नही,ईश से घाल देखो । होना है अंत,समय बढ़ा … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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