!! बाद जिंदगी यूँही ढल जायेगी !! बिना हरि नाम के जीने वालो, जाम मद मोह, का पीने वालों, जाप हरि नाम का करके देखो, जाम हरि नाम का पीकर देखो, गति सुधरेगी,ओ भोले पंछी, उम्र बाकी भी सम्भल जायेगी, बाद जिंदगी यूँही ढल जाएगी, … Read more »
!! बाद जिंदगी यूँही ढल जायेगी !! बिना हरि नाम के जीने वालो, जाम मद मोह, का पीने वालों, जाप हरि नाम का करके देखो, जाम हरि नाम का पीकर देखो, गति सुधरेगी,ओ भोले पंछी, उम्र बाकी भी सम्भल जायेगी, बाद जिंदगी यूँही ढल जाएगी, … Read more »
DOHA CHHAND राधे - राधे हो रही, चहुँ दिशि देखो आज अजब गजब तेरी छटा, गोवर्धन गिरिराज राधे - राधे है कहूँ, है कान्हा का शोर श्याम रंग में है रँगे, बृज के चारो ओर हे ! केशव बृजराज सुन, बृज में भूखी गाय कौन… Read more »
महाश्रृंगार छंद [Mahashringar chhand] विधान : यह सम मात्रिक छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में 16 ,16 मात्राएँ होती है ।दूसरे व चौथे चरण में सम तुकान्त रहता है। चरणान्त दीर्घ लघु से। आदि में त्रिकल द्विकल(3,2) व अन्त में द्विकल त्रिकल(2,3) सुनो ! बृसभानु लली… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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