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महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat]

महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat] विधान :  महाभुजंगप्रयात छंद आठ  यगण  से है बना, बारह पर यति सोय । भुजंगप्रयात से दोगुना, सदा  छंद  यह होय ।। ------------------------------------- लगी  है   झरी   धार  पैनी  परी  हैं, लिये  नीर आई… Read more »

घनाक्षरियों के प्रकार व विधान

घनाक्षरियों के प्रकार एवं विधान  ____________________________________________ 1:- मनहरण घनाक्षरी  :  कुल 31 वर्ण। 8-8-8-7 या 16-15 पर यति। अंत में गुरु वर्ण। ____________________________________________ 2:- रूप घनाक्षरी :   कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 प… Read more »

रट लै रट लै हरी कौ नाम

रट  लै  रट लै हरी कौ नाम रट  लै  रट लै हरी कौ नाम, प्राणी  भव  तर  जायेगौ रे प्राणी  भव   तर  जायेगो, तेरो जनम सुधर जायेगौ रट लै रट लै हरि कौ...... बड़े  जतन  तन  मानुस  पायौ मोहपाश  में    समय   गँवायौ कोउ न  आवै  काम अंत में, रे  जब   ऊपर  जायेगौ … Read more »

उल्लाला छंद [Ullala Chhand]

उल्लाला छन्द उल्लाला छन्द   विधान -   उल्लाला छंद  सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है।  प्रथम भेद  :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें)  होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है ।  द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होत… Read more »

विश्वगुरू भारत [ India ]

विश्व गुरु भारत अपना महान   विश्व गुरु भारत अपना महान  नही  कोई दूजा इसके समान  नही कोई दूजा.....नही कोई... विश्व गुरु............नही कोई... सिक्ख ईसाई हिन्दू मुस्लिम, सब  मिलजुल  कर  रहते  है सुख दुख अपना आपस बांटे, साथ  सभी  का,  हम देते  ह… Read more »

गीतिका : हिंदी की जय बोलो [geetika]

हिंदी   की    जय   बोलो  हिंदी, भाषा  बड़ी सुहानी है हिंदी   गौरव  हिन्द  देश  का, हिंदी हरि की वाणी है है  मिठास  हिंदी भाषा मे, पुरखो का यह  मान रही वीरों का भुजबल थी ये ही, अपना  स्वाभिमान  रही   मात  भारती  के  ललाट पे, तेज   लिये  जो  बिंदी है और… Read more »

सवैया : काव्यगोष्ठी

मत्तगयंद सवैया :    भगण×7+गुरु+गुरु   सूरकुटी   पर  भीर भयी, कवि मित्र करें मिल कें कविताई । छन्दन गीतन  प्रीत झरे, उर  भीतर  बेसुधि  प्रीत  जगाई । भाग   बड़े   जब सूरकृपा, चल  सूरकुटी  बृज  आँगन पाई । देख   छटा  बृज पावन की,उर  आज  नवीन गयौ हरसाई । ✍… Read more »