गृहस्थ : छंद - आल्हा/वीर,बृज मिश्रित ------------------------- जय जय जय भगवती भवानी कृपा कलम पर रखियो मात आज पुनः लिख्यौ है आल्हा जामै चाहूँ तेरौ साथ महावीर बजरंगी बाला इष्टदेव मन ध्यान लगाय निज विचार गृ… Read more »
गृहस्थ : छंद - आल्हा/वीर,बृज मिश्रित ------------------------- जय जय जय भगवती भवानी कृपा कलम पर रखियो मात आज पुनः लिख्यौ है आल्हा जामै चाहूँ तेरौ साथ महावीर बजरंगी बाला इष्टदेव मन ध्यान लगाय निज विचार गृ… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
अधिक जाने.... →
Follow Us
Stay updated via social channels