मिट्टी वाले दीये जलाना, जो चाहो दीवाली हो, उजला - उजला पर्व मने, कही रात न काली हो, मिटटी वाले................. जब से चला चायना वाला, कुछ की किस्मत फूट गयी विपदा आई एक अनोखी रीत हिन्... Read more »
मिट्टी वाले दीये जलाना, जो चाहो दीवाली हो, उजला - उजला पर्व मने, कही रात न काली हो, मिटटी वाले................. जब से चला चायना वाला, कुछ की किस्मत फूट गयी विपदा आई एक अनोखी रीत हिन्... Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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