उसका निखरा रूप था,नागिन सम थे बाल । घायल करती जा रही,चल मतवाली चाल ।। चन्द्र बदन कटि कामनी,अधर एकदम लाल । नयन कटारी संग ले,करने लगी हलाल ।। जबसे देखा है तुझे,पाया क... Read more »
उसका निखरा रूप था,नागिन सम थे बाल । घायल करती जा रही,चल मतवाली चाल ।। चन्द्र बदन कटि कामनी,अधर एकदम लाल । नयन कटारी संग ले,करने लगी हलाल ।। जबसे देखा है तुझे,पाया क... Read more »
प्रेम हृदय में धारिये,प्रेम रत्न यह ख़ास । जहाँ प्रेम का वास है,वही प्रभो का वास ।। ब्रह्मदेव के पुत्र है,ब्रह्म बना आधार । परशुराम सम तेज है,यह ब्राह्मण का सा... Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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