छंद : मत्तग्यन्द सवैया ------------------------------- जोगिन एक मिली जिसने चित, चैन चुराय लिया चुप मेरा । नैन बसी वह नित्य सतावत, सोमत जागत डारिहु घेरा । धाम कहाँ उसका नहिं जानत, ग्राम, पुरा, ... Read more »
छंद : मत्तग्यन्द सवैया ------------------------------- जोगिन एक मिली जिसने चित, चैन चुराय लिया चुप मेरा । नैन बसी वह नित्य सतावत, सोमत जागत डारिहु घेरा । धाम कहाँ उसका नहिं जानत, ग्राम, पुरा, ... Read more »
छंद : मत्तग्यन्द सवैया ------------------------------- नैनन ते मद बाण चला, मन भेद गयी इक नारि निगोरी । राज किया जिसने दिल पे, वह सूरत से लगती बहु भोरी । चैन गयो फिर खो... Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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