पर मानी न मैंने भी हार हर दिवस सहा स्वजनी प्रहार पर मानी न मैंने भी हार न कभी झुका न कभी रुका हूँ पथरीले से नहीं डरा हूँ दूना प्रयास किया हरबार पर मानी… Read more »
पर मानी न मैंने भी हार हर दिवस सहा स्वजनी प्रहार पर मानी न मैंने भी हार न कभी झुका न कभी रुका हूँ पथरीले से नहीं डरा हूँ दूना प्रयास किया हरबार पर मानी… Read more »
छन्द : रोला ----------------- लिये हरित परिधान,धरा पर पावस आयी । शीतल चली बयार,उष्णता है शरमायी । भरे कूप अरु कुंड,नीर सरिता भर लायी । जन,जीवन,खुशहाल,ऋतु वर्षा मन भायी ।। - नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” श्रोत्रिय निवास बयाना Http://NKUtkarsh.Blogspot.c… Read more »
बहुत हुआ मोदीजी लेकिन,अब बातों में सार नही । खामोशी को साधे रहना,वीरों का श्रृंगार नही । मारो इनको या दुत्कारो,ये लातों के भूत रह... Read more »
छंद : चौपाई + दोहा ---------------------------- नया टैक्स है आने वाला । बन्द करे गड़बड़ घोटाला ।। क़िस्त टैक्स की जमा कराओ । उचित समय पर इनपुट पाओ ।। दस तारीख रही आमद की । पन्द्रह कर दीन... Read more »
(१) तेज तपन, बनी हूँ विरहन जलता मन, (२) आखिरी आस अब होगा मिलन बुझेगी प्यास (३) फाल्गुनी रंग चहुँ ओर गुलाबी पीव न संग (4) रात अँधे... Read more »
सुमिरू तुमको हंसवाहिनी,मनमोहन,गुरुवर, गिरिराज । पंचदेव, गृहदेव, इष्ट जी,मंगल करना सारे काज ।। बाल नवीन करे विनती यह,रखना देवो मेरी लाज । उर भीतर के भाव लिखूँ मैं,आल्हा छंद संग ले आज ।। देश,वेश,परिवेश बदल दो,सोच बिना कछु नही सुहाय । मधुर बोल मन … Read more »
महाशिव रात्रि आई,सब शिवालय सजे है, कालो के काल,महाकाल कैलाश चढे है, घूँट लो भंगिया,बाबा नांदिया,कहने लगे है इस पावन पर्व के रस में सब बहने लगे है, महाशिवरात्रि के पर्व की अग्... Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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