भुजंगप्रयात छंद  [Bhujangprayat Chhand] विधान : यगण×4 कुल 12 वर्ण लगी आग  देखो,जला    प्रेम    सारा बना आज  बैरी,रहा    भ्रात    प्यारा कभी  सोचता हूँ,दिखावा भला क्यों  रहा  जो  हमारा,उसी  ने  छला क्यों                        (2) मिलो आप कान्हा,मिले… Read more »