छंद : असंबधा (asambandha chhand) (1) ---------------------- कान्हा  आओ  प्रेम अगन मन लागी है चाहे    तेरा    दर्शन   अब   अनुरागी  है प्रेमी हूँ तेरा  सुन, तुझ   बिन  मेरा  ना  तारो  प्यारे  मोहन गिरधर हे !  कान्हा (2) ✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” … Read more »