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छन्द : कुण्डलिया

(1) बजरंगी  बाला  सुनो,अर्ज  हमारी आप । सदा साथ  देना प्रभो,हरना  मन संताप ।। हरना  मन संताप,गीत प्रभु के हम गायें । उर  के मिटे विकार,पाप सारे मिट जायें । बने जहाँ के दीप,करें नित बाद उजाला । अर्ज  करे  उत्कर्ष,सुनो  बजरंगी  बाला ।। (2) चोरी करते … Read more »

कुंडलियां :

अज्ञानी  बिन आपके,ज्यो जल बिन हो मीन । कृपा करो माँ शारदे,विनती   करे     नवीन ।। विनती करे  नवीन,सूझ कब तुम बिन माता । दो  मेधा  का  दान,मात   मेधा    की   दाता । जग करता गुणगान,मात तुम आदि भवानी । मिले तुम्हारा  साथ,चाहता    यह   अज्ञानी ।। ✍🏻नवीन श्रोत्रिय … Read more »