Vivah Vidai Geet : विदाई गीत 

लाडी  आई  सासरिये ,भर   नैनं   में आस
चाहत बनू सबकी में,मेरा प्रेमी हो भरतार
लाडी आई सासारिये ,ओ भर नैनं ......

ओ लाडी आई सासारिये......
मईया छोड़ी मैंने ,अब बाबुल भी छोड़ा,
पिया के घर से अब नाता जोड़ा,
में आई छोड़ छाड़ ,सब घर द्वार..
लाडी आई सासारिये,हो भर नयनं में आस

लाडी आई सासरिये,भर नैनम् में आस,
पिया के घर पे वो सब मिल जावे,
मोहे पीहर की कभी न याद सतावे,
ससुर मिले मोय पिता के जैसो,
मईया जैसी हो मेरी सास,
लाडी आई सासारिये,वो तो भर नैनं में आस,

ओ लाडी आई सासरिये, ओ भर नैनं में आस,
भाई छोड़ आई,बहिना छोड़ आई,
बचपन से रिश्ता तोड़ आई,
आई छोड़ सहेलियो का प्यार,
ओ लाडी आई सासारिये, भर नयन में आस,

मिले जेठानी मेरी बन के सहेली,
रहूँ न में कबहू अकेली,
मिले भाई जैसा नटखट देवर,
बहिना जैसी करे ननद दुलार,
लाडी आई सासरिये, ये भर नयनन में आस,

ओ लाडी आई सासारिये, हो भर नयन में आस...
    - नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
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Utkarsh Kavitawali
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