एक सुन्दर सी नार,वाको रूपहु निखार । 
जाके लाल लाल होट, नयन  कटारि   है ।।
बोले हँस हँस बोल,मन मेरो जाय डोल ।
है गोल गोल कपोल,सूरत  की  प्यारि है ।।
मनभावन है बोली,और एकदम भोली ।
लागे अप्सरा हो जैसे,वो सबसे न्यारि है ।।
लगा नैनो में कजरा,सज़ा बालों में गजरा ।
देखे सारेहु औ जब,निकरे    बाहरि   है ।।
रहे कछु बतियाय, दुल्हन मेरी हो जाय ।
देख विधाता ने कैसी,मूरत   संवारि   है ।।
देखि मैनेहु जबते, भयो दीवानो तबते ।
सुधबुध खोई मैंने, नीदहु   बिसारि    है ।।
✍नवीन श्रोत्रिय “Utkarsh”