मदिरा सवैया [madira Saviaya] Author:नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” 2/04/2017 01:10:00 pm मदिरा सवैया [madira Saviaya] स्नान करें मिल साथ सभी,जल निर्मल ये तटनी तट है बाँट ख़ुशी खुशहाल रहे,सब व्यर्थ बड़ा यह झंझट है वक्त रहा कब कौन सगा,तब वक्त मिला यह उद्भट है जीवन है जितना सबका,रह साथ जिये उनको रट है नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" श्रोत्रिय निवास बयाना +91 84 4008-4006 Madira Savaiya
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।