"मेरा देश-मेरा भारत"

रहमान  संग  में  यहाँ,ईसा,  नानक, राम ।
वीरों  की जननी यही,भारत इसका नाम ।।
विश्व पटल पर छाया न्यारा ।
प्यारा   भारत   देश हमारा ।।
राणा,   पन्ना,  भामा,  मीरा ।
यही  हुए  रसखान,कबीरा ।।
चरक,हलायुध,अब्दुल,भाभा ।
विश्व पटल की थे यह आभा ।।
जन्मे  गीत, गजल, कब्बाली ।
भारत की छवि लगती आली ।।
क्रिसमस,ईद,लोहड़ी,होली ।
पावनता  पर्वों   ने    घोली ।।
अलग - थलग हैं भाषा बोली ।
पर   माटी  माथे   की   रोली ।।
इस  माटी  का  लोहा  माना |
जगत गुरू यह सबने  जाना ||
मानवता    संग  रहे   वास्ता ।
सब धर्मों  में अपनी आस्था ।।
सावन  का  मल्हार  सुहाना ।
कोयल  नित्य  सुनायें गाना ।।
भर मन मोद  मोर नित नाचे ।
नदियाँ,  नाले   भरें  कुलाँचे ।।
चहुँ दिश ही फैली हरियाली  ।
इत  झूमें  बरखा   मतवाली ।।
परियों  वाली  प्रेम  कहानी ।
यहाँ   सुनाती  दादी, नानी ।।
कहता  हलधर  बहा  पसीना ।
श्रम के बल पर हमको जीना ।।
नीति, रीति  हमने  सिखलाई ।
सही राह जग को  दिखलाई ।।
चाँद, सितारे  हम बिन फीके ।
आव भगत हमसे सब सीखे ।।
भाषा-बोली है अलग,खान- पान अरु वेश ।
सब धर्मों  से  है बना,मेरा    भारत    देश ।।
  नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
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