आराधना : Aaradhana 

दोहा•
प्रातः उठ वंदन करूँ,चरण नवाऊँ शीश ।
यशोगान तेरा करूँ, इतना दो आशीष ।।
सुन लो मेरी  अरज   भवानी ।  तेरी   महिमा   जग  ने   जानी ।।
दूर करो   अज्ञान  का  साया ।  माता   तेरीे    दर    पे     आया ।।
दोहा•
करता  में   आराधना, माता   सुनो पुकार ।
इस मूरख नादान का, कर   दो  बेडा पार ।।
कृपा    करो   माँ    शेरोवाली ।  भर   दो   झोली    मेरी    खाली ।।
सच्चे   मन से जो  भी ध्यावे ।  संकट     उसके    पास  न अावे ।।
विपति पड़ी  तब आप उबारा ।  रूप    सहस्त्र    लिए   अवतारा ।।
तुम   ही  गौरा आदि भवानी ।   तुम   ही  शारद  जग कल्याणी ।।
जो भी    तेरी शरण में आया ।  रिद्धि - सिद्दी धन सम्पति पाया ।।
भटक  रहा  मैं  सुनो भवानी ।   राह     दिखाओ     माता   रानी ।।
दो•
सच के मारग पे चलूँ,छोड़  सभी  जंजाल ।
तेरी   सेवा   में   करूँ, चाहे  जो  हो  हाल ।।
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”©
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Utkarsh poetry : उत्कर्ष कवितावली