महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat]

विधान : महाभुजंगप्रयात छंद
आठ  यगण  से है बना, बारह पर यति सोय ।
भुजंगप्रयात से दोगुना, सदा  छंद  यह होय ।।
-------------------------------------

लगी  है   झरी   धार  पैनी  परी  हैं,
लिये  नीर आईं ,घटा घोर कारी ।

चली   हैं  हवायें  डरी  सी   निगाहें,
बचेगी न खेती  हुई आज भारी ।

रहा  कर्ज   में   हूँ  रहूँगा  सदा  ही,
मिली भाग  में  ये गरीबी हमारी ।

करूँ क्या कहो,राह कोई दिखाओ,
धरा पुत्र का कष्ट काटो बिहारी ।।
-------------------------------------

नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष,बयाना