चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ]
चौपई या जयकरी (15 मात्रा, अंत में 21 या गाल अनिवार्य, कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत चौपाई के चरण मे अंतिम एक मात्रा को कम कर देने से चौपई या जयकरी छंद का चरण बन जाता है। स्मरण रखने के लिए संक्षेप में - चौपाई - अंतिम एक मात्रा = चौपई या जयकरी ,चरण के प्रारम्भ में क्रमागत द्विकल+त्रिकल+त्रिकल नहीं आना चाहिए, अन्यथा लय बदल जाएगी।  

शुक्ल  पक्ष  औ भादो मास
आठे  कूँ  सब   धरे  उपास
जन्मदिवस राधा को खास
जाके हृदय कृष्ण  को वास

-- श्री राधे --
राधा  को   बरसानो  गाम
कृष्ण नाम को पीनो जाम
जपती  वू  तो  आठो याम
तभी हुआ पावन बृजधाम

-- श्री राधे --
कृष्णा  में  राधा को  वास
राधाऊ  कृष्णा  की  खास
इक दूजे की  बनके  साँस
रक्खे   देखो   ये  उपवास

-- श्री राधे --
चले कृष्ण धर नृप को भेष
मथुरा  के  बन  गए  नरेश
छोड़   छाड़   नंदगांव  शेष
ज्यो तप कूँ कैलाश  महेश

-- श्री राधे --
नवीन श्रोत्रिय"उत्कर्ष"
चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ]
चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ]