"समय" किसके पास है ?
खुद ही खुद को क्यों औरों से खास है
ये समय
है, समय किसके पास है
लिक्खा है मैंने भावों की ले स्याही
खुशियों
से मातम, मातम से तबाही
शब्द वही हैं, तो क्या ये बकबास है
ये
समय है, समय किसके पास है
जीते हैं लोग यहाँ
सर्वस्व हार कर
संभव कैसे यह, कुछ तो विचार कर
अनुभव कर जानो, क्या
अहसास है
ये समय है, समय किसके पास है
पिया है मयकदे में,यादों के दर्दों को
दर्द नहीं होता
कभी,सुना है मर्दों को
चेहरा कईयों का क्यों फिर उदास है
ये समय है, समय किसके पास है
मौसम
में
रंगत पर, पसरा सन्नाटा
खुश होना छोडा, क्या
इसमें भी घाटा
स्वार्थी
सा जीवन, लगता खलास है
ये
समय है समय किसके पास है
- नवीन
श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
Naveen Shrotriya Utkarsh |
6 Comments
Bahut sundr
जवाब देंहटाएंसादर आभार नीतू जी
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 21 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को अपने ब्लॉग पर स्थान प्रदान करने के लिये सा•यशोदा जी आपका आभारी हूँ
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंजी सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
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