मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
जब पहली बारी पाई
सेवा करवै जो आई
बाने कूटी सब ससुरार
संग पति की करी कुटाई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
आयी दूसरि नम्बर की
बू खाते पीते घर की
नित खून पीमती यार
और सबकूँ रही डराई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
तीजी जीन्स टॉप में ठाड़ी
जाकूँ बोझ पहनवौ साड़ी
बातन में इंग्लिश झार
करे बू इंग्लिश कविताई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
नहीं काम काज ते हारे
बू चौथी खड़ी गिरारै
रही शेखी खूब बघार
बातन में लिये सफाई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
पांची नौकर सरकारी
बनी सबपे जो अधिकारी
रही रौफ खूब ही झार
बू रुपया चार कमाई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
छठी तौ तन पे स्यावै
न काम के नीचे आवै
पल पल में करे सिंगार
ज्यों हूर इंद्र की आई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
क्रमशः जारी.................
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
2 Comments
बहुत खूब 👌👌👌
जवाब देंहटाएंनीतू जी हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।