इन्द्रवज्रा छंद विधान और उदहारण
छंद विधान :-
यह छंद उपेंद्रवज्रा छंद से मिलता जुलता ही छंद है अथवा इन दोनों ही छंदो में नाम मात्र का भेद है। इस छंद में क्रमशः तगण + तगण + जगण + गुरु + गुरु [२२१+२२१+१२१+२२ = १८ ] कुल चार चरण , १८ मात्राएँ प्रति पंक्ति , दो-दो पंक्ति समतुकांत होता है।
उदाहरण :-
[1]
यूँही नहीं आप हमें सताओ
कान्हा कभी दर्शन तो कराओ
भूले हमें, क्यों जबसे गये हो
बोलो यहाँ और किसे ठगे हो
[2]
झूठा भरोसा हमको दिलाया
भूले हमें औ ब्रज को भुलाया
लीला तुम्हारी तुम सी छलिया
जानैं कहाँ है हम गूजरिया
इन्द्रवज्रा छंद [ INDRAVAJRA-CHHAND ] |
1 Comments
Nice lines
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