उ ठे धूल की जब जब आँधी, तो जलधार जरूरी है उठे धूल की जब जब आँधी, तो जलधार जरूरी है बहुत हुआ जुर्मों को सहना, अब संहार जरूरी है आज एक नारी की इज्ज़त, लुटती रही भीड़ भर में खड़े रहे कुछ मौन साध कर, कुछ दुबके अपने घर में कुछ के अ… Read more »
उ ठे धूल की जब जब आँधी, तो जलधार जरूरी है उठे धूल की जब जब आँधी, तो जलधार जरूरी है बहुत हुआ जुर्मों को सहना, अब संहार जरूरी है आज एक नारी की इज्ज़त, लुटती रही भीड़ भर में खड़े रहे कुछ मौन साध कर, कुछ दुबके अपने घर में कुछ के अ… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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