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Top Romatic Shayari-Muktak

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Muktak : मुक्तक

जीव  के  कर्म  पर  जीव  का   अवतरण जीव   ऊपर    चढ़ा    मृत्तिका   आवरण कर्म    ऐसे    करो   मानवी     तन  मिले सद्गुणों  का  करो, सबहि  अब अनुशरण Muktak : Utkarsh Kavitawali हिंदी पत्रिकाओं, एवं हिंदी साहित्यिक संस्थाओं को सहायतार्थ यथोचित अनुदान दें। … Read more »

उत्कर्षदीप जुगलबंदी [आधार विधाता छंद]

उत्कर्ष   जुगलबंदी तुम्हारा    देखकर  चेहरा, हमें  तो  प्यार  आता है तुम्हारे  हाथ   का  खाना, सदा मुझको  लुभाता है बसे हो आप  ही  दिल  मे, बने हो प्राण इस तन के तुम्हारी आँख का काजल, मगर  हमको जलाता है नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष तुम्हारी  बात  पर   सज… Read more »

मुक्तक : हिन्दू,हिंदी,हिंदुस्तान

मुक्तक : हिन्दू,हिंदी,हिंदुस्तान जय - जयकार  करेगी  दुनिया,हिंद   वीर  मतबारों की अडिग हिमालय सी हिम्मत है,आदत  नही  सहारो की ठान   लिया   हमने  हिंदी  को,शीर्षस्थ      पहुंचाना  है जग   में   केवल  हिंदी   होगी,हिंदी राज   दुलारों   की  Muktak Read more »

मुक्तक :दिल से...

नजारों में  कहाँ  अब  हम,नहीं  पहचान  पाओगे । मगर  जिंदा  अभी हम हैं,कभी  तो जान जाओगे । भुला सकते नहीं हमको,भगत हम श्याम के ठहरे । चले   आयेंगे   यादों   में,भजन जब आप गाओगे ।... Read more »

देशहित में आह्वान (मुक्तक )

बहुत     हुआ   मोदीजी   लेकिन,अब  बातों में सार नही । खामोशी    को     साधे    रहना,वीरों    का    श्रृंगार नही । मारो   इनको    या   दुत्कारो,ये    लातों    के   भूत    रह... Read more »

मासूम कविता : Innocent poetry

मासूम कविता : Innocent poetry नैना    निश्छलता    लिये,मुख से है मजलूम भूख  मिटाने  चल पड़ा, लेकर निज  मकसूम कौन  पराया,  है   सगा,  जाने   नही   निरीह  हँसता - रोता,  खेलता, कभी   रहा   वह झूम नवीन श्रोत्रिय“उत्कर्ष” मासूम कविता : Innocent poetry����… Read more »