जीव  के  कर्म  पर  जीव  का   अवतरण
जीव   ऊपर    चढ़ा    मृत्तिका   आवरण
कर्म    ऐसे    करो   मानवी     तन  मिले
सद्गुणों  का  करो, सबहि  अब अनुशरण
Muktak Utkarsh kavitawali
Muktak : Utkarsh Kavitawali

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