कृष्ण सुनो अरदास मम, चाह तुम्हारा साथ लोभ, द्वेष उर से हरो, तारो भव से नाथ दारू कब घी सम रही, पी कर भरो न जोर बाद गलाती जिस्म ये, है बीमारी घोर अलग -अलग उपनाम है,अलग-अलग अंदाज करना मत मधुपान तुम,यह दुर्जन का काज कभी… Read more »
कृष्ण सुनो अरदास मम, चाह तुम्हारा साथ लोभ, द्वेष उर से हरो, तारो भव से नाथ दारू कब घी सम रही, पी कर भरो न जोर बाद गलाती जिस्म ये, है बीमारी घोर अलग -अलग उपनाम है,अलग-अलग अंदाज करना मत मधुपान तुम,यह दुर्जन का काज कभी… Read more »
!! मदिरा से मत हाथ लगाना !! मदिरा ते मत हाथ लगाना,तुम्हे जान यदि प्यारी हो हाथ छुये ते खण्डित जीवन,सभी जगह फिर ख्वारी हो मदिरा ते मत हाथ लगाना......... नष्ट करे तन, धन, अरु जीवन,नष्ट जगत व्यवहार करे मदिरापान करें उनकी इस,जीवन मे नह… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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