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Utkarsh Kundaliya कुंडलिया छंद कुंडलिया छंद Utkarsh Kundaliya कुंडलिया छंद का उदाहरण कुंडलिया छंद का उदाहरण कुंडलिया छंद का उदाहरण कुंडलिया छंद का उदाहरण कुंडलिया छंद का उदाहरण कुंडलिय… Read more »
भोर भयी दिनकर चढ़ आया । दूर हुआ तम का अब साया ।। कर्मवीर तुम अब तो जागो । लक्ष्य साध यह आलस त्यागो ।। हार जीत सब कर्म दिलाता । ध्यान धरे वह मंजिल पाता ।। हार कभी न कर्... Read more »
लिए कंचन सी' काया वो,उतर आई नजारों में । करें वो बात बिन बोले,अकेले में इशारो में । बिना देखे कही पर भी,मिले नहिं चैन अब मुझको । गगन के चाँद जैसी वो,ह... Read more »
उसका निखरा रूप था,नागिन सम थे बाल । घायल करती जा रही,चल मतवाली चाल ।। चन्द्र बदन कटि कामनी,अधर एकदम लाल । नयन कटारी संग ले,करने लगी हलाल ।। जबसे देखा है तुझे,पाया क... Read more »
मिट्टी वाले दीये जलाना, जो चाहो दीवाली हो, उजला - उजला पर्व मने, कही रात न काली हो, मिटटी वाले................. जब से चला चायना वाला, कुछ की किस्मत फूट गयी विपदा आई एक अनोखी रीत हिन्... Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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