कलाधर छंद : Kaladhar Chhand

 शिल्प बिधान :- कलाधर छंद

Vidhan : 21*15 + 2 (गुरु+लघु×15+गुरु)

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कवित्त जाति के इस वर्णिक छंद का प्रत्येक चरण चंचला और चामर छंद के मेल से बना है । चंचला छंद में चार चरण होते है जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः (रगण जगण रगण जगण रगण और एक लघु ) का प्रयोग होता है। चामर छंद भी चार चरण का होता है ।प्रत्येक चरण में चंचला की भांति वही गण उसी क्रम से आते हैं परंतु अंत में लघु वर्ण नहीं होता।इस प्रकार कलाधर का प्रत्येक चरण निम्न है.. 
राजभा जभान राजभा जभान राजभा (= चंचला) 21 21 21 21 21 21 21 21
राजभा जभान राजभा जभान राजभा (= चामर) 21 21 21 21 21 21 21 2
गुरु लघु,गुरु लघु,गुरु लघु पहली पक्ति सोलह वर्ण, दूसरी पक्ति पन्द्रह वर्ण, कुल 31 वर्ण

सृष्टि    पे  अनिष्ट  दूर  तार  दे  गणेश  नाम
देवता    गणेश     भिन्न   मान  शेष   और ते


मैल    कूँ  छुड़ाय  के  बना  दियो   गणेश रूप
तेज    और   शक्ति  कूँ  बढ़ाय   पूज  तौर  ते


रिद्धि, सिध्दि,और लाभ, देव का जहां निवास
आज  ही  धरो  उपास, ध्यान  देय   गौर    ते


भाग्य  कूँ   बनाय   देत,  काज  कूँ  सुधार  कें
अवर्ण्य   है   सुकीर्ति, देख  पार  आप  ठौर ते

नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना

Utkarsh Kavitawali
Kaladhar Chhand or vidhan