दोहा

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लेख    भले  ही चोर लो,कला न पावें चोर
लिखना मेरा कर्म है,समझ सके कब ढोर

रोला

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समझ सके कब ढोर,काम भूसा से रहता ।
कुछ गुण रहे विशेष,चोर चोरी तब करता ।
सुनो “सुमन उत्कर्ष”,हवा से ही पात हलें ।
चोरी सकें  न रोक ,छुपा   लो   लेख भले ।।

दोहा+रोला=कुण्डलियाँ

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लेख     भले   ही चोर  लें,कला न पावें चोर
लिखना   मेरा कर्म है,समझ सके कब ढोर
समझ   सके  कब ढोर,काम भूसा से रहता
कुछ गुण  रहे विशेष,चोर चोरी तब करता
सुनो “सुमन उत्कर्ष”,हवा से  ही पात हले
चोरी सकें    न रोक ,छुपा   लो   लेख भले
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