चल पड़े है कौन से पथ
Chal Pade Hain Kaunse Path
मापनी/बहर : 2122 2122 2122 212
चल पड़े है कौन से पथ, भूल हम जीवन चले
जानते इसको सभी पर, संग में बेमन चले
स्वप्न बुनते नित नये हम हो सुखद संसार इक
पर निगाहों में बसा के ढूँढने हैं धन चले
हैं मुसाफिर हम सभी ही, चंद पल का साथ है
हो मुहब्बत बाद इतनी, बैर तज दामन चले
प्यास इतनी बढ़ गई, जो बुझ न पाई अब तलक
याद ये सब आज आया, छोड़ के जो तन चले
ध्यान रख “उत्कर्ष” पल ये, बाद लौटेगा नहीं
है नहीं भूला यहाँ वो, लौट जो आँगन चले
2 Comments
nice.... ghazab !!!!!
जवाब देंहटाएंअपनी अमूल्य प्रतिक्रिया द्वारा मेरे लेखन को सँवारने व गति प्रदान करने के लिये हार्दिक आभार आदरणीय श्री
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