शूर [veer] a solder Author:नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” 5/22/2018 03:22:00 pm छंद : मत्तगयंद सवैया सूर चलौ चढ़ सूरन ऊपर, फूलन हार लपेट तिरंगा आँगन छोड़ बसौ हद ऊपर, रोक लिये अरि के सब दंगा जान लुटा अपनी धरती पर, एकहि रंग करौ पँचरंगा संग भरे कर को जग आमत,आमत रिक्त लिये तन नंगा - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष छंद : मत्तगयंद सवैया
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