देशहित गीत [ Desh Bhakti Geet ]

पाकिस्तान  करे  मनमानी, उसे   जवाब   जरूरी है 
मूक  बने  बैठे   क्यों मोदी,आखिर क्या मजबूरी है 


छप्पन इंच का सीना फिर, क्यों ये साहस खोता है 
मौन  साधना   देख  तुम्हारी, वीर सिपाही रोता है 
नैन  अगारी   देश   द्रोह के, नारे     लोग लगाते है 
जिस   थाली   में  खाना  देते, छेद  उसी में पाते हैं 



गैरों  को  अपना  कहते  हो, अपनो से क्यों दूरी है 
मूक बने बैठे  क्यों मोदी, आखिर  क्या मजबूरी है 



उद्दंडी  सब    खुले    घूमते,रक्षक  भक्षक   एक बने
लोकतंत्र की राजनीति ने,सब के सब ही लोग ठगे
नहीं सहयोग दीन हीन को,आरक्षण अभिशाप बना
रिश्वतखोरी पनप रही अरु,जातिवाद ने जाल बुना
संविधान   संशोधन   करना,बेहद    हुआ  जरूरी है
मूक बने  बैठे  क्यों  मोदी,आखिर क्या मजबूरी है 



NAVEEN  SHROTRIYA  "उत्कर्ष"
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