जनक सुता माँ जानकी,अरु दशरत सुत राम ।
श्री चरणों मे आपके,मेरा नमन प्रणाम ।।
- उत्कर्ष
अज्ञानी ठहरा प्रभो,नहीं तनिक भी ज्ञान ।
क्षमा करो मम भूल हे,पवन पुत्र हनुमान ।।
- उत्कर्ष
ज्ञान दायनी भगवती,रखो कलम का मान ।
तुरत संभालो काज माँ,करता हूँ आह्वान ।।
- उत्कर्ष
अनावृष्टि, तूफान ने,किया बहुत नुकसान ।
अन्न नहीं चारा बचा,बचे न बाद किसान ।।
- उत्कर्ष
खेतों में पानी भरा,भीगा उपजा अन्न ।
कुदरत की इस मार से,कृषक हुआ है सन्न ।।
- उत्कर्ष
जग में कर्म प्रधान है,मर्म कर्म का जान |
कर्मो का फल भोगता,रे ! मोही इंसान ||
- उत्कर्ष
पंद्रह सौ की थी शती,अरु सन सैंतालीस ।
“भामा” जन्म अप्रैल की,थी दिनांक उनतीस ।।
- उत्कर्ष
धर्मपरायण भावना,मेवाड़ी ले आन ।
जित जन्मे भामा रही,धरती राजस्थान ।।
- उत्कर्ष
पहली चौथी दूसरी,तुक में करतीं बात ।
बिन तुक चलती तीसरी,वो ही मुक्तक जात ।।
- उत्कर्ष
हार रहे डर आप से,डर को बिन डर मार ।
जीत मिले निश्चित सुमन,हार बने गलहार ।।
- उत्कर्ष
चीन पाक दोनों झुके,वह भारत की धाक ।
मेल शक्ति जग में प्रबल,एक हुये अरि खाक ।।
- उत्कर्ष
आरक्षण की आग में,जलता सारा देश ।
गधा अश्व अब एक से,गुणवत्ता कब शेष ।।
किया शिक्षा को चौपट ।
बनाकर सबको पोपट ।।
- उत्कर्ष
लोभ, मोह मन में रमा,मिटा आपसी प्यार ।
माँ जाये बैरी बने,करें काट अरु मार ।।
प्रेम ने पलटी मारी ।
जान को पड़ता भारी ।।
- उत्कर्ष
इतना भी मत व्यस्त हों,रहता नित ही काम ।
और सभी फिर फिर मिले, मिले न हरि का नाम ।।
नाम ये दुर्लभ जग में ।
भरो इसको रग रग में ।।
- उत्कर्ष
Writer
Naveen Shrotriya "Utkarsh"
Shrotriya Mansion Bayana
Zip : 321401
Mobile : +91 95 4989-9145
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