महाश्रृंगार छंद  [Mahashringar chhand] 

विधान : यह सम मात्रिक छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में 16 ,16 मात्राएँ होती है ।दूसरे व चौथे चरण में सम तुकान्त रहता है। चरणान्त दीर्घ लघु से। आदि में त्रिकल द्विकल(3,2) व अन्त में द्विकल त्रिकल(2,3)

सुनो ! बृसभानु लली हिय बात, 
एक  तुम  ही  मेरौ आधार

बजै    मेरी   मुरली    जो   देख,
नैन  में  उमडै  जाकूँ प्यार

रटत   रसना  जाकौ  नित नाम,
रास आवै  जाते बृज  धाम

नहीं  पूरण  जिस  बिन ये प्राण,
मान केवल  बू  राधे   नाम 

- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
mahashringar
 Mahashringar chhand ka vidhan udaharan sahit