घर बाहर का मुखिया नर हो
और  नारि  घर  भीतर  जान
दोनों   ही  घर   के  संचालक
दोनों   का  ऊँचा    है  स्थान

बात करे जब मुखिया पहला
दूजा   सुने   चित्त    ले  चाव
बात उचित अनुचित है जैसी
वैसा  ही   वह    देय   सुझाव

बिना राय करना   मत  दोनों
चाहे    कैसा   भी   हो    काम
दोनों  ही  पहिये    हैं   घर  के
एक    दाहिना    दूजा     वाम

एक समझ  से  भली  रही  दो
दोनों   का  पद   एक   समान
दोनों ही   आधार   गृहस्थ  के
रखो    परस्पर    दोनों   मान

अगर  बात  मतभेद  लिये हो
तो  धर   लेना  इतना  ध्यान
जिसका जो अधिकार क्षेत्र  है
उसके  ही   कर    रहे  कमान

To be Continue....
All Rights Reserved.

उत्कर्ष गृहस्थ सार भाग-1 

utkarsh Kavitawali
Grahsth Saar ; Utkarsh Kavitawali