संकल्प : मनहरण कवित्त/घनाक्षरी Author:नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” 1/25/2019 10:29:00 am आन बान शान रख, और पहचान इक भारती का वीर रख, अडिग जुबान को काट डाल रार वाली, खरपतवार जड़ चूर कर डाल गिरि, जैसे अभिमान को दीमक लगी हो जित, उत भी नजर डाल देश से बाहर कर, देश द्रोही श्वान को देश की अखंडता के, लिये ये जरूरी यज्ञ अर्पित नवीन कर, तन, मन , प्रान को Naveen shrotriya
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।