कनक मंजरी छन्द
कनक-मंजरी छन्द विधान :
यह वार्णिक छन्द है। गुरु का अर्थ गुरु, लघु का अर्थ लघु [ चार लघु + ६ भगण (२११)+ १ गुरु ] = २३ वर्ण , चार चरण, सभी समतुकान्त [ मापनी ११११,२११,२११,२११, २११,२११,२११,२ ]
उदाहरण : अभी उपलब्ध नहीं ..........
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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3 Comments
Where is the example ? Please analyse with respect to Mahishasur Mardini Stotra
जवाब देंहटाएंकनक मंजरी छंद में 23 वर्ण नहीं 11 वर्ण होते हैं, जिसमें 6,5 पर यति होता है। इसका वर्ण विन्यास नगण,रगण, रगण, गुरु होता है, उदाहरण https://www.surta.in/raspanchadhdyayi-3-gopeeka-geet/ में देखा जा सकता है ।
जवाब देंहटाएंयह वर्णिक छन्द 'शैलसुता' है। इसके लघु-गुरु का क्रम निम्न प्रकार है -
जवाब देंहटाएंलललल गालल गालल गालल गालल गालल गालल गालल गा
यदि मदिरा सवैया छन्द के प्रथम गुरु को दो लघु में बदल दिया जाये तो शैलसुता छन्द बन जाता है! उदाहरण -
परिणय का अति पावन बंधन, बंधन जीवन-जीवन का,
सुख दुख में अनुरूप रहे यह, बंधन है तन का मन का।
निरख बुरे दिन छोड़ सभी चलते पर दम्पति साथ निभाते,
जब तन जर्जर हो चलता तब भी बन सम्बल हाथ मिलाते।
- आचार्य ओम नीरव
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