शंकर छंद [ Shanker Chhand ] 

शंकर छंद विधान : 16/10 अंत मे गुरु लघु
क्रमशः दो - दो पंक्तियाँ समतुकांत

दीन सुदामा   की  पुकार को, सुनो     राधेश्याम
आठ पहर  जिसके अधरों पे, कृष्ण  रहता नाम
पाँच द्वार से  भीख  माँगकर, पूर्ण   करता   धर्म
कैसा  ये   प्रारब्ध  रहा    जो, दीनता   के   कर्म
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
shanker chhand or udaharan-utkarsh kavitawali
शंकर छंद विधान [shanker chhand ka udaharan]