Ghnakshari Chhand 
जाति -पाँति धर्म नहीं, काम भेड़ियों की कोई
ऐसे  भेड़ियों  को अब, मिल     मार   डालिये

सामाजिक  सौहार्द को, कमजोरी  मान   रहे
ऐसे शन्तिदूतों को भी, घर   से    निकालिये

करते  वे   नित  पाप, क्षमा  दान  देते   आप
दानवीर   बनके    यूँ, संकट    न      टालिये

दूध  पिलाने   का  जो  शौक है चढ़ा हुआ तो
श्वानों को पिलाओ पर, साँप  मत    पालिये
उत्कर्ष कवितावली
घनाक्षरी छन्द

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