किसी ने पूछा प्रेम क्या है ? तब मेरे अंतःकरण से जो जवाब बन पड़ा वह आपके समक्ष रखता हूँ  प्रेम आत्मा का राग है, चित्त का अनुराग  है, रिश्तों का भाग है वैरागी का वैराग है, भक्ति  की लाग है, अर्थात  प्रेम आत्मा का वह भाव, वह सम्प्रेषण  का  माध्यम  है, जो  दूर  से  ही  जीव  का  जीव  से  मिलन  करा  देता  है, वह  अहसास  है जो एक चट्टान  में  भी  प्रभु  का  साक्षात्कार  करा  देता  है, प्रेम    वह हथियार है जो  बड़े  से बड़े  दुश्मन को पल में  मात दे सकता है, वह ज्ञान है जो  भक्त  को  भगवान  से  मिला  देता  है, वह मनोभाव  है  जो  हमें  जीवन  जीना  सिखलाता  है । प्रेम वह हलाहल  है  जो  कालकूट से भी ज्यादा प्रभावशाली है, "प्रेम" प्रेम है  मगर इसके जैसा अन्य कोई नहीं यह अद्वितीय है |
उत्कर्ष कवितावली
प्रेम क्या है ? What is the love

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