Sundari-madhavi Savaiya Author:नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” 4/18/2020 11:06:00 pm सुंदरी-माधवी सवैया विधान : क्रमशः आठ सगण और एक गुरु अभिमान बुरौ जग जानत है, पर मानत को यह भेद भलौ है । मन मानहु भूल गयौ अपनौ, अपमान सहे सुख गैर खलौ है । अपनेउ रिवाज तजे सगरे, अब रीति पछाँह नवीन चलौ है । जिस ओर निहार रहे नयना, उस ओर हमें यह दृश्य मिलौ है । सुंदरी/माधवी सवैया
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