दोहा छंद के नियम और उदाहरण
यह अर्द्ध सममात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते है । विषम चरणों अर्थात् प्रथम व तृतीय का मात्रा भार 13 होता है व सम चरणों अर्थात् द्वितीय व चतुर्थ का मात्रा भार ग्यारह होता है । दोहा छंद का आरंभ जगण से करने पर लय दोष उत्पन्न होता है इसलिये जगण के प्रयोग से बचें । प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा का वर्ण लघु होता है ।
इसको स्पष्ट रूप से समझने के लिये मात्राभार इस क्रम में रखें...
8+2+1+2 - 8+2+1
उदाहरण :-
चार चरण दो पंक्तियाँ, लय तुकांत इकसार ।
तेरह ग्यारह मेल ही, है दोहा आधार ।।
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
व्याख्या :-
चा =२, र=१, कुल =2+1=3 मात्रा
च+र+ण=१+१+१ , कुल= 1+1+1= 3 मात्रा
दो =२, कुल =2 मात्रा
पं +क्ति+याँ=२+१+२, कुल 5
इस तरह प्रथम चरण (विषम चरण) का मात्रा भार=
२+१+१+१+१+२+२+१+२=13 हुआ
इसमें ग्यारहवीं मात्रा वाला वर्ण (गहरा चिह्नित) लघु हुआ
ल+य =१+१, कुल =2
तु+कां+त=1+2+1,कुल =4
इ+क+सा+र=१+१+२+१, कुल=5
तेरह ग्यारह मेल ही, है दोहा आधार ।।
[ तृतीय चरण ] [ चतुर्थ चरण ]
[ तृतीय चरण ] [ चतुर्थ चरण ]
ठीक पहले दो चरणों की तरह ही इन दोनों चरणों मे ग्यारहवीं मात्रा वाला वर्ण लघु ही है ।
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