गरमी गरमी ते गरमी मिली, गरम रह्यो फिर आज गरमी ते गरमी घटी, कैसौ गरम रिवाज कैसौ गरम रिवाज, ठंड पे बहुतै भारी हुये अधमरे आज, गरमी है अत्याचारी सुनौ सखा उत्कर्ष, रखौ रसना में नरमी वरना उल्टे हाथ, प… Read more »
गरमी गरमी ते गरमी मिली, गरम रह्यो फिर आज गरमी ते गरमी घटी, कैसौ गरम रिवाज कैसौ गरम रिवाज, ठंड पे बहुतै भारी हुये अधमरे आज, गरमी है अत्याचारी सुनौ सखा उत्कर्ष, रखौ रसना में नरमी वरना उल्टे हाथ, प… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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