मैंने देखी नारि हजार पर ऐसी कहूँ न पाई जब देखी पहली बारी बू नारि सुशीला न्यारी बाने कूटी सब ससुरारि संग पति की करी कुटाई मैंने देखी नारि हजार पर ऐसी कहूँ न पाई आयौ दूजी कौ नम्बर बाकौ खातौ पीत… Read more »
मैंने देखी नारि हजार पर ऐसी कहूँ न पाई जब देखी पहली बारी बू नारि सुशीला न्यारी बाने कूटी सब ससुरारि संग पति की करी कुटाई मैंने देखी नारि हजार पर ऐसी कहूँ न पाई आयौ दूजी कौ नम्बर बाकौ खातौ पीत… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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