मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
जब देखी पहली बारी
बू नारि सुशीला न्यारी
बाने कूटी सब ससुरारि
संग पति की करी कुटाई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
आयौ दूजी कौ नम्बर
बाकौ खातौ पीतौ घर
बू तौ खून पीमती यार
लड़ लड़ कें रही डराई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
तीजी पहन जीन्स कूँ ठाड़ी
जाकूँ बोझ पहनवौ साड़ी
बातन कौ भरौ पहार
करे बू इंग्लिश कविताई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
नहीं काम काज ते हारे
बू चौथी खड़ी गिरारै
रही शेखी खूब बघार
बातन ते करै सफाई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
पांची नौकर सरकारी
जो पूरे घर पे भारी
रही रौफ खूब ही झार
बू रुपया चार कमाई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
छठवीं तौ तन पे स्यावै
न काम के नीचे आवै
पल पल में करे सिंगार
ज्यों परी इंद्र की आई
मैंने देखी नारि हजार
पर ऐसी कहूँ न पाई
सातीं देखी घस खोदा
जाके बने बुध्दि के लोंदा
नाय सूझ - बूझ कौ सार
बचवे में रही भलाई
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
10 Comments
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 24 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी, मेरी रचना को "पाँचो लिंकों का आनंद" पर स्थान प्रदान करने के लिये हार्दिक आभार धन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजी सराहना के लिऐ आपका हार्दिक आभार
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंआ• जोशी जी सराहना के लिये आपका आभारी हूँ जी
हटाएंअलहदा सृजन।👌
जवाब देंहटाएंजी सराहना के लिये नत हूँ ।
हटाएंकुछ अलहदा सृजन 👌
जवाब देंहटाएंजी पुनःश्च अमूल्य प्रतिक्रिया द्वारा मेरा उत्साहवर्धन करने के लिये आपका अशेष आभार
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