उपेंद्रवज्रा छंद

 UPENDRAVJRA CHHAND

[जतजगुगु]
छंद विधान : 
क्रमशः जगण, तगण, जगण, दो गुरु

न   साधना,  वंदन, मोहि  आवै
तुम्हें  रिझाऊँ, विधि  को बतावै
सुवासिनी   सिद्ध  सुकाज कीजै
विवेक औ बुध्दि “नवीन” दीजै
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष


उपेन्द्रवज्रा छंद ka udaharan
उपेन्द्रवज्रा छंद