पदपादाकुलक छंद का विधान एवं उदहारण |
पदपादाकुलक छंद
{PADPADAKULAK CHHAND}
पदपादाकुलक छंद विधान : –
पदपादाकुलक छंद के चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६ मात्रायें होती हैं , छंद के आरम्भ में एक गुरु अथवा दो लघु (लघु-लघु) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिकल [ २+१ या १+२ या १+१+१ ] वर्जित होता है, पहले द्विकल के बाद यदि त्रिकल आता है तो उसके बाद एक और त्रिकल आता है , कुल चार चरण होते हैं, क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त होते है l
पदपादाकुलक छंद उदाहरण :-
गुरु या दो लघु प्रारंभ करे
औ त्रिकल शब्द आरंभ परे
हैं तुकांत दो चरण चार हैं
जो रहे अर्द्ध "मत्त" भार हैं
चौपाई बराबर मान लो
है सनातन छंद यह जान लो
सोलह मात्रा लिये बंध है
वो पदपादाकुलक छंद है
पदपादाकुलक छंद का विधान एवं उदहारण |
2 Comments
Excellent content as well as presentation
जवाब देंहटाएंआ• अशोक मङ्गल साहब प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ जी
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