तोकूँ ढूँढू वर मैं सुयोग
जो तेरे मन भाय विशाखा, जाकौ तेरौ योग
चन्द्र सरीखौ, वीर बाँकुरौ, तन कौ रह्यौ निरोग
रूठे तौ पढ़ प्रेम रिझावै, मेटै आत्म अनुयोग
कृष्ण कन्हाई सों नैन समावै, सुखद विवाह संयोग
क्यों कर की तेने इह हाँसी
को भूलि भयी मोसौं प्यारी, बनी बाँस की बाँसी
को अनुयोग विराजत उर में, कह दे साँसी साँसी
और दिना तौ भयौ न ऐसौ, आज भयी क्यों पासी
चन्द्र सरीखौ नन्द सलोना, तेरौ अंतेवासी
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