जिंदगी के अंत तक,कष्ट के ज्वलन्त तक, रोम रोम मेरा परशुराम गीत गयेगा । विप्र अनुराग मेरा,विप्र मन राग मान, विप्र वंदना में मन,डूबता ही जायेगा । विप्र परिवार मेरा,विप्र व्यवहार मेरा, विप्र हूँ ये सोचकर,अरि घबरायेगा । जिंदगी,उत्कर्ष यह,विप्र कुल गौरव की, जिस दिन मा… Read more »