उत्कर्ष पदावली रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै जैसी करनी वैसी भरनी करनी का फल पावै रे मूरख करनी का फल पावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वा… Read more »
उत्कर्ष पदावली रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै जैसी करनी वैसी भरनी करनी का फल पावै रे मूरख करनी का फल पावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वा… Read more »
Follow my blog with Bloglovin डगर कौनसी चल के आया पथ की ना पहचान कि अब तो राह सुझाओ सुजान चहुँ दिशि ही माया का साया माया ने मन को भटकाया रहा न ज्ञान गुमान कि अब तो राह सुझाओ सुजान-२ उर … Read more »
कृष्ण भजन Krishna Bhajan उनसों का प्रीत रखें, जिन प्रीत काम की करनी तो उनते,करें, मुक्ति भव धाम की घर ते चले जो आज, मिलवै भगवान ते उनकूं न ढूँढे मिले, साँची ईमान ते कान्हा कूँ सब जग खोजत है, कान्हा कहूँ न पावैगौ का… Read more »
रट लै रट लै हरी कौ नाम रट लै रट लै हरी कौ नाम, प्राणी भव तर जायेगौ रे प्राणी भव तर जायेगो, तेरो जनम सुधर जायेगौ रट लै रट लै हरि कौ...... बड़े जतन तन मानुस पायौ मोहपाश में समय गँवायौ कोउ न आवै काम अंत में, रे जब ऊपर जायेगौ … Read more »
आराधना : Aaradhana दोहा• प्रातः उठ वंदन करूँ,चरण नवाऊँ शीश । यशोगान तेरा करूँ, इतना दो आशीष ।। सुन लो मेरी अरज भवानी । तेरी महिमा जग ने जानी ।। दूर करो अज्ञान का साया । माता तेरीे दर पे आया ।। दोहा• करता में आराधना… Read more »
!! बाद जिंदगी यूँही ढल जायेगी !! बिना हरि नाम के जीने वालो, जाम मद मोह, का पीने वालों, जाप हरि नाम का करके देखो, जाम हरि नाम का पीकर देखो, गति सुधरेगी,ओ भोले पंछी, उम्र बाकी भी सम्भल जायेगी, बाद जिंदगी यूँही ढल जाएगी, … Read more »
सरस्वती वंदना [saraswati vandna] माँ सरस्वती सामूहिक वंदना ----------------------------------- नमस्तुभ्यं माँ आदिशक्ति,नमस्तुभ्यं वागेश्वरी, नमस्तुभ्यं वैकुण्ठ वासिनी,नमस्तुभ्यं माहेश्वरी, जय वाचा जय ईश्वरी, जय महाश्वेता मात नमन तुम्हे वागे… Read more »
Krishna Bhajan मेरे मनमोहन सांवरिया अब तो आजा, ओ मेरे सांवरिया, नयन लगी प्यास रे सांवरिया, तू चित चोर है मेरा, मेरे दिल में बस तेरा बसेरा हरपल याद करू, तोहे मैं दिल से, तुही मेरा अब चैन सवेरा अब तो आजा, ओ बाँसुरिया वाले, नयन लगी … Read more »
माँ ! जगदम्बा हे माँ ! जगदम्बा, तेरी जय हो जय हो हे माँ ! जगदम्बा , तेरी जय हो जय हो माँ हम सब बालक अज्ञानी तेरे , तेरी महिमा जाने न, क्षमा दान हो माता रानी , क्षमा हमें तुम कर दो , हे माँ ! जगदम्बा, तेरी जय हो जय हो माँ शर्मा कुछ और न मांग… Read more »
Shri Mendipur Balaji देखो देखो ये बड़ा निराला, मेरा बाला मेहंदीपुर वाला, मेरा बाबा वो घाटा वाला , देखो देखो ये बड़ा निराला, मेरा बाला मेहंदीपुर वाला, मेरा बाबा वो घाटा वाला, जब भी आये संकट किसी पे, पल में हर लेता है ,ये दुःखियों के दुःख को पल में हरे… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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